पहले तो ईमान को बेचा
अब अंदर के इंसान को बेचो!
यौवन बगिया में आग लगाकर
मासूमियत के भगवान को बेचो।
बाजार बन गई दुनिया सारी
बिकें तन यौवन के
बचपन की मुस्कुराहट भी
अब मंडी में सज आई।
मौसमी फल सब्जियां बन गया
अब देखो इंसान भाई !
पहले तो ईमान को बेचा
अब अंदर के इंसान को बेचो!
यौवन बगिया में आग लगाकर
मासूमियत के भगवान को बेचो।
बाजार बन गई दुनिया सारी
बिकें तन यौवन के
बचपन की मुस्कुराहट भी
अब मंडी में सज आई।
मौसमी फल सब्जियां बन गया
अब देखो इंसान भाई !
behtarin kavitaa…waqyee ab Insaan bikta hai.
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Thanks sir for your appreciation
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Deep words. Short but meaningful.
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Thanks for your appreciation.
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very nice….
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Thanks for your kind words.
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