मां धरती थोड़े देर ही सही
मैं थक गई हूं
अपनी गोद में सुला लो ।
अपनी ममतालु हाथों से
थपकी दे मुझको
गा लोरी सुला दो ।
या फिर सुनाओ – वही कहानी
एक थी परियों की रानी
चंदा के घर में रहती थी ।
सपने में चंदा मामा के घर जाऊं
दूर टिम – टिम करते तारे
आहा ये सपने कितने प्यारे !
सपने आंखों को बहलाते
झूठे ही सही , टूटे मन को सहलाते ।
तो ले चलो ना फिर सपनों के गांव
यादों के पनघट पर;
अपने पीपल बरगद की –
शीतल छांव में
मां मुझे थोड़ी देर सुला लो ।
Lovely poem😊
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धन्यवाद आशीष जी
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Thanks Ashish Today u have given so many likes.🙂🙂
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, आभार । आज आपने बहुत सारे सरकार दिए।
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Sorry star.
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