क्यों विचार लिखते समय
साथ नहीं देते
वे सुखद स्मृतियों की तरह,
काफूर हो जाते हैं।
वे आते हैं जब धोती रहती हूं,
बच्चों के कपड़े।
वे आते हैं जब करती रहती हूं,
घर के खर्च का हिसाब।
वे आते हैं जब बज रही होती है,
कुकर की सीटी।
जीवन की इस आपाधापी में-
काव्य साधना भी आसान नहीं।