जीवन में जो पूजाएं पूरी नहीं हो सकती हैं , मैं ठीक जानता हूं कि वे भी खो नहीं गई हैं। जो फूल खिलने से पहले ही पृथ्वी पर झड़ गया है, जो नदी मरुभूमि के मार्ग में ही अपनी धारा को खो बैठती है,-मैं ठीक जानता हूं कि वे भी खो नहीं गई हैं। जीवन में आज भी जो कुछ पीछे छूट गया है, जो कुछ अधूरा रह गया है, मैं ठीक जानता हूं कि वह भी व्यर्थ नहीं हो गया है। मेरा जो भविष्य है , जो अब भी अछूता रह गया है,वे तुम्हारी वीणा के तार में बज रहे हैं, मैं ठीक जानता हूं , ये भी खो गये हैं-
जीवने यत पूजा हतो न सारा,
जानि हे जानि ताओ हय नि हारा।
ये फल ना फुटिते झरेछे धरणी
ये नदी मरूपथे हारालो धारा।
जानि हे जानि ताओ हय नि हारा।
जीवने आजो याहा रयेछे पिछे,
जानि हे जानि ताओ हय नि मिछे,
आमार अनागत आभार अनाहत
तोमार वीणा तारे बाजिछे तारा।
जानि हे जानि ताओ हय नि हारा।।
– गीतांजलि
मुझे गुरु देव की ये पंक्तियां बहुत प्रेरक लगती हैं इसलिए इसे प्रस्तुत कर रही हूं। धन्यवाद ।
‘Stories by Rabindranath’ nice show on “EPIC” channel.
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हां। रविन्द्रनाथ टैगोर की रहस्यवादी कविताएं बहुत पसंद हैं।
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Yes, this show is a very interesting. Mon-Fri in 8:30PM at EPIC channel.
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